- प्री-IPO मार्केट में NSE के शेयरों की मजबूत मांग
- 5 महीनों में 35% तक का रिटर्न
- SEBI के नियमों के तहत 6 महीने का लॉक-इन
मुंबई। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NSE) अब देश की सबसे बड़ी नॉन-लिस्टेड कंपनी बन गई है, वह भी शेयरधारकों की संख्या के लिहाज से। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, NSE के शेयरहोल्डर्स की संख्या 1 लाख के आंकड़े को पार कर गई है। यह बढ़त आईपीओ से पहले कंपनी के प्रति निवेशकों की मजबूत दिलचस्पी को दर्शाती है।
शेयर ट्रांसफर प्रक्रिया में तेजी से हुआ बदलाव
अनलिस्टेड शेयर मार्केट एक्सपर्ट उमेश पालिवाल ने बताया कि 24 मार्च से शेयर ट्रांसफर की प्रक्रिया को 3-4 महीने से घटाकर केवल 1 दिन कर दिया गया है। इस बदलाव के बाद से निवेशकों की संख्या में जबरदस्त उछाल आया है।
मार्च के अंत में: 22,400 शेयरधारक
11 अप्रैल तक: 60,000 शेयरधारक
अब: 1,00,000+ शेयरधारक
NSE के चौथी तिमाही के नतीजे
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मार्च 2025 की तिमाही में टैक्स के बाद शुद्ध मुनाफा ₹2,650 करोड़ रहा, जो साल-दर-साल आधार पर 7% ज्यादा है।
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इस तिमाही की कुल आय ₹4,397 करोड़ रही, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में यह ₹5,080 करोड़ थी — यानी 13% की गिरावट।
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पूरे वित्त वर्ष 2024-25 के लिए NSE ने ₹12,188 करोड़ का शुद्ध मुनाफा दर्ज किया, जो 47% की सालाना वृद्धि है।
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समेकित कुल आय बढ़कर ₹19,177 करोड़ हुई, जो 17% की वृद्धि दर्शाती है।
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बोर्ड ने ₹35 प्रति इक्विटी शेयर का अंतिम डिविडेंड देने की सिफारिश की है।
प्री-IPO में NSE शेयर खरीदने का बढ़ा क्रेज
प्लेटफॉर्म्स के जरिए निवेश:
NSE के शेयर फिलहाल प्री-IPO मार्केट में इनक्रेड मनी, अल्टियस इन्वेस्टेक, अनलिस्टेडजोन और प्रिसाइज जैसे प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध हैं। यहां से निवेशक ब्रोकर के माध्यम से शेयर खरीद सकते हैं।
ओवर-द-काउंटर डील (OTC):
यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति या फर्म को जानते हैं जिसके पास NSE के शेयर हैं, तो आप सीधे उनसे खरीदारी कर सकते हैं। हालांकि, किसी भी अनलिस्टेड डील से पहले अच्छी तरह वैरिफिकेशन जरूरी है।
NSE शेयरों ने निवेशकों को अब तक 35% रिटर्न दिया
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, बीते 5-6 महीनों में NSE के शेयरों ने ₹1,560 से लेकर ₹1,700 तक का उतार-चढ़ाव देखा है। वर्तमान में इसकी कीमत ₹1,650 के आसपास है और इसने निवेशकों को लगभग 35% का रिटर्न दिया है।
प्री-IPO में निवेश: फायदे और जोखिम
फायदे:
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NSE जैसी प्रतिष्ठित कंपनी में लिस्टिंग से पहले निवेश करने का मौका
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IPO के समय अच्छी रिटर्न की संभावना
जोखिम:
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अनलिस्टेड शेयरों की तरलता कम होती है
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SEBI नियमों के तहत IPO के बाद 6 महीने का लॉक-इन पीरियड होता है
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रेगुलर ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की कमी








