- अस्पताल में आपातकालीन सुरक्षा उपायों का प्रशिक्षण
- अग्निशमन मॉकड्रिल-संकट के समय सुरक्षा और समन्वय की अहमियत
- प्रशिक्षण से सशक्त हुए अस्पताल कर्मी-आपदा प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
अम्बेडकरनगर। संकट की घड़ी में साहस, सजगता और समन्वय ही हमारे जीवन रक्षा के सच्चे औज़ार हैं। इसी मंत्र को आत्मसात करते हुए टांडा स्थित 200 शैय्या मातृ एवं शिशु अस्पताल में अग्निशमन विभाग की ओर से मंगलवार को व्यापक मॉकड्रिल का आयोजन किया गया, जिसमें अस्पताल कर्मियों को आपदा के समय संगठित प्रयासों और तकनीकी दक्षता के माध्यम से जान-माल की रक्षा करने का प्रशिक्षण दिया गया।
इस अभ्यास का निर्देशन मुख्य अग्निशमन अधिकारी जे. पी. सिंह के कुशल नेतृत्व में संपन्न हुआ, जबकि कार्यक्रम की सक्रिय कमान प्रभारी अग्निशमन अधिकारी सचिन शर्मा के हाथों में रही। मॉकड्रिल की थीम थी—”एकजुट हों, अग्नि सुरक्षित भारत को प्रज्वलित करें”, जो केवल एक नारा नहीं, बल्कि हर नागरिक की सामूहिक जिम्मेदारी का उदघोष बन गया।
प्रशिक्षण सत्र में डॉक्टरों, नर्सों व अन्य स्टाफ को अग्निशमन उपकरणों के प्रयोग, आपात स्थिति में निकासी मार्ग, आग पर नियंत्रण के विविध उपाय, और घबराहट से बचते हुए समझदारी से निर्णय लेने की कला सिखाई गई। उपस्थित चिकित्साकर्मियों ने भी पूरी गंभीरता से अभ्यास में भाग लेते हुए सुरक्षा उपायों की बारीकियों को सीखा और समझा।
इस आयोजन में अग्निशमन विभाग के अनुभवी और समर्पित कर्मियों की भागीदारी उल्लेखनीय रही। लीडिंग फायरमैन रामशरण शुक्ला तथा फायरमैन अभिषेक सिंह ने अग्नि सुरक्षा तकनीकों का प्रदर्शन किया, वहीं शौचालक रूपेश कुमार, राहुल मौर्य, अंकुर सिंह, शहजादे आलम, पंकज विश्वकर्मा एवं शशिकांत सिंह ने इस अभ्यास को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।
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