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कैसे बन रही है अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत की चेन?

  • क्यों हटाए गए संविदा कर्मी, और क्यों मिली खास तैनाती चहेतों को?
  • कैसे विभागीय कार्यालय बन रहे हैं अधिकारियों की ‘पर्सनल सर्विस’ सेंटर?
  • क्या फैज मोहम्मद की तैनाती भाई की सिफारिश का नतीजा है?

अकबरपुर। पावर विभाग के 33/11 केवी सब स्टेशन और कार्यालयों में कर्मियों की तैनाती को लेकर गंभीर आरोप सामने आए हैं। सूत्रों के अनुसार, अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों को निजी कामों में लगाया जा रहा है, जबकि विभागीय कार्य प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही, भ्रष्टाचार के मामले भी उजागर हुए हैं, जिसमें गलत कनेक्शन देने से लेकर झूठे मुकदमे दर्ज करने तक की शिकायतें हैं।

अधिकारियों की ‘निजी सेवा’ में लगे कर्मचारी

जानकारी के अनुसार, दीपचंद, जिनकी नियमित ड्यूटी अकबरपुर सब स्टेशन में है, को कार्यालय अधिशासी अभियंता के यहाँ ऑपरेटर के तौर पर तैनात किया गया है। इसी तरह, बृजेश गुप्ता को सब स्टेशन की बजाय उप खंड अधिकारी के कार्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर बनाया गया है। वहीं, फैज मोहम्मद, जो इंजीनियरिंग कॉलेज सब स्टेशन से जुड़े हैं, का कोई स्थायी स्थान नहीं है, लेकिन वे अधीक्षण अभियंता के कार्यालय में तैनात टेंडर बाबू मो. अजीम के भाई बताए जाते हैं।

सूत्रों का कहना है कि इन कर्मियों को उनके मूल कार्यस्थल से हटाकर अधिकारियों के निजी कामों में लगाया जा रहा है, जबकि उन्हें बिना काम किए वेतन दिया जा रहा है। यह मामला अधिकारियों और कर्मियों के बीच मिलीभगत का संकेत देता है।

भ्रष्टाचार के आरोप: गलत कनेक्शन, झूठे केस

इन कर्मियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी लग रहे हैं। शिकायतों के मुताबिक, ये कर्मी गलत बिजली कनेक्शन देने, ट्यूबवेल कनेक्शन बेचने और गलत पोल पर केबल लगवाने जैसे कामों में शामिल हैं। साथ ही, विभागीय गड़बड़ियों को छुपाने के लिए उपभोक्ताओं के खिलाफ झूठे मुकदमे भी दर्ज किए जा रहे हैं।

कर्मचारियों की कमी से कार्यप्रणाली अस्त-व्यस्त

संविदा कर्मियों की छँटनी के बाद से सब स्टेशनों पर कर्मचारियों की संख्या में भारी कमी आई है। जो कर्मी बचे हैं, उनमें से कई को योग्यता के बजाय ‘अधिकारियों के चहेते’ होने के आधार पर तैनात किया गया है। इससे कामकाज प्रभावित हुआ है, और अन्य कर्मचारियों पर अत्यधिक कार्यभार पड़ रहा है।

उपभोक्ताओं की बढ़ती शिकायतें, अधिकारी चुप

इन गड़बड़ियों के कारण उपभोक्ताओं की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन उच्च अधिकारी इस मामले पर मौन बने हुए हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या विभागीय भ्रष्टाचार को खुली छूट दी जा रही है? जनता की माँग है कि इस मामले की तुरंत जाँच की जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।