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भेदभाव और अनदेखी के खिलाफ उठी आवाज़, पावर कॉरपोरेशन के कर्मचारियों का दर्द विधानसभा तक पहुँचा
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एक ही काम, अलग वेतन: आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ दोहरी नीति पर सवाल
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जिन्होंने उजाला बाँटा, वही आज अंधेरे में – कर्मचारियों की व्यथा गूँजी कटेहरी विधानसभा में
अम्बेडकरनगर। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के आउटसोर्स कर्मचारी जो दिन-रात अंधेरे में काम करके घर-घर रौशनी पहुँचाते हैं, आज अपने हक़ और सम्मान की लड़ाई लड़ रहे हैं। इन कर्मवीरों के खिलाफ हो रहे भेदभाव और अन्याय के खिलाफ उनकी आवाज़ अब जनप्रतिनिधियों तक पहुँच चुकी है।
कटेहरी विधानसभा के विधायक धर्मराज निषाद को सौंपे गए ज्ञापन के माध्यम से इन कर्मचारियों ने अपने संघर्ष को शासन तक पहुँचाने की गुहार लगाई है। कर्मचारियों का आरोप है कि उन्हें एक समान कार्य के बदले असमान वेतन दिया जा रहा है, जिससे उनका आत्मसम्मान और जीवनयापन दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
वेतन में भेदभाव: एक ही कार्य, दो तरह की नीतियाँ
आउटसोर्स कर्मचारियों से लाइनमैन, उपकेंद्र परिचालन और कंप्यूटर ऑपरेटर जैसे उच्च जोखिम वाले कार्य कराए जाते हैं, लेकिन उनके वेतन में अभूतपूर्व भेदभाव देखा जा रहा है। सैनिक कल्याण निगम से नियुक्त उपकेंद्र परिचालकों को ₹30,000 का वेतन मिलता है, जबकि संविदा कर्मचारियों को महज़ ₹13,000 मिलते हैं। यह भेदभाव श्रमिकों के अधिकारों का उल्लंघन है और उनकी गरिमा को ठेस पहुँचाता है।
संकट के बीच बेरोजगारी: पुराने कर्मचारियों की दुखभरी स्थिति
मार्च 2023 में, विभाग ने बिना किसी स्पष्ट कारण के कई कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया। इन कर्मचारियों को न तो उनका बकाया वेतन मिला, न ही उन्हें फिर से कार्य पर रखा गया। जिन कर्मचारियों ने विभाग में 10 से 15 वर्षों तक अपनी सेवा दी, उन्हें एक झटके में निकाला गया।
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