Tamsasanket

Hindi News, Latest News in Hindi Breaking News & Latest Headline

OTT के बढ़ते चलन से किसे हो रहा है सबसे बड़ा नुकसान?

  • क्यों नहीं खींच पा रही हैं बड़ी फिल्में दर्शकों को थिएटर तक?
  • क्या OTT ने बदल डाला है सिनेमा देखने का अंदाज़?
  • नवाजुद्दीन बोले- फिल्में भी अब आम आदमी की पहुंच से बाहर!

नई दिल्ली। पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड फिल्मों का थिएटर में प्रदर्शन लगातार कमजोर हुआ है। बड़े सितारों की फिल्में भी अच्छी कमाई नहीं कर पा रही हैं, जैसे इस साल सलमान खान की सिकंदर फ्लॉप हो गई। इसके पीछे OTT प्लेटफॉर्म्स को एक बड़ा कारण माना जा रहा है।

हाल ही में नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म कोस्टाओ रिलीज़ हुई। इस मौके पर नवाजुद्दीन और फिल्म के निर्माता विनोद भानुशाली ने एक इंटरव्यू में थिएटर और OTT के बीच बढ़ते अंतर पर अपनी राय रखी।

थिएटर में टिकट की कीमतें हैं मुख्य मुद्दा

जब पूछा गया कि क्या OTT थिएटर की जगह ले लेगा, तो नवाजुद्दीन ने कहा – “हां, कीमत एक बड़ा मुद्दा है। आम आदमी इतनी महंगी टिकट नहीं खरीद सकता। फिल्में लोगों के साथ बैठकर देखने की चीज हैं, जहाँ दर्शकों की मौजूदगी ज़रूरी है। अगर टिकट की कीमतें कम हों, तो ही लोग थिएटर आएंगे।”

विनोद भानुशाली ने इस पर सहमति जताते हुए कहा – “थिएटर कभी बंद नहीं होंगे, लेकिन टिकट की कीमतें समस्या हैं। बड़े शहरों में लोग महंगी टिकट खरीद लेते हैं, लेकिन हर जगह एक जैसे दाम नहीं होने चाहिए। अगर इस पर काम किया जाए, तो थिएटर फिर से पॉपुलर हो सकते हैं।”

OTT ने पहुंचाया फिल्मों को ग्लोबल ऑडियंस तक”

कोस्टाओ को OTT पर रिलीज़ करने के फैसले के बारे में विनोद ने बताया – “हमने इस फिल्म को 130 देशों में एक साथ रिलीज़ किया, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग इसे देख सकें। थिएटर में इतने बड़े दर्शक तक पहुँचना मुश्किल था, लेकिन ZEE5 पर यह संभव हुआ।”

बायोपिक्स में छुपी होती हैं असली ज़िंदगी की कहानियाँ

नवाजुद्दीन और विनोद ने कई बायोपिक्स बनाई हैं। इस बारे में विनोद ने कहा –“जब आप किसी ऐसे शख्स की कहानी सुनते हैं, जिसने वाकई में संघर्ष और सच्चाई की ज़िंदगी जी हो, तो लगता है कि ये दुनिया को बताना चाहिए। हमारी ज़िंदगियाँ तो आम हैं, लेकिन ऐसे लोगों की कहानियाँ प्रेरणा देती हैं।”

सेट का सबसे यादगार पल

फिल्म के सेट पर एक दिलचस्प घटना साझा करते हुए विनोद ने बताया – “नवाज और प्रिया बापट का एक झगड़े का सीन था, जो स्क्रिप्ट में सिर्फ दो लाइन्स का था। लेकिन दोनों ने इतना रियल एक्टिंग की कि लगा जैसे सच में लड़ रहे हों! वो सीन फाइनल कट में भी शामिल किया गया।”

नवाजुद्दीन ने कहा – “वो सीन इतना असली लगा क्योंकि उसमें भावनाएँ हमारे अंदर से आईं। खुशकिस्मती से उसे काटा नहीं गया।”