H-1B वीजा फीस में 50 गुना वृद्धि: भारतीय पेशेवरों पर भारी असर

  • अमेरिका में H-1B वीज़ा फीस में भारी वृद्धि
  • 3 लाख से अधिक भारतीय प्रभावित
  • नए ट्रम्प गोल्ड और प्लेटिनम कार्ड की घोषणा

वॉशिंगटन। अमेरिका ने H-1B वीजा के लिए एप्लिकेशन फीस बढ़ाकर हर साल एक लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपए) कर दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को इस आदेश पर हस्ताक्षर किए। नए शुल्क 21 सितंबर से लागू होंगे।

पहले इस वीजा के लिए औसतन 5 लाख रुपए लगते थे। यह वीजा 3 साल के लिए मान्य होता था और इसे 3 साल के लिए रिन्यू किया जा सकता था। नए नियमों के तहत 6 साल में वीजा की कुल लागत 5.28 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी, यानी पहले से लगभग 50 गुना अधिक।

85,000 वीजा हर साल जारी होते हैं
अमेरिकी सरकार हर साल लॉटरी के जरिए 85,000 H-1B वीजा जारी करती है, जिनका उपयोग ज्यादातर तकनीकी नौकरियों में होता है। आंकड़ों के अनुसार, इन वीजाओं में 72% भारतीय हैं। H-1B वीजा की बढ़ी हुई फीस का सीधा असर 3 लाख से अधिक भारतीयों पर पड़ेगा।

नए गोल्ड और प्लेटिनम कार्ड भी लॉन्च
ट्रम्प प्रशासन ने H-1B में बदलाव के साथ ‘ट्रम्प गोल्ड कार्ड’, ‘ट्रम्प प्लेटिनम कार्ड’ और ‘कॉर्पोरेट गोल्ड कार्ड’ जैसी नई सुविधाएं भी शुरू की हैं। ‘ट्रम्प गोल्ड कार्ड’ धारक को अमेरिका में अनलिमिटेड रेसिडेंसी का अधिकार मिलेगा।

भारत पर प्रभाव
नए शुल्क के कारण भारत की IT/टेक कंपनियों के लिए अमेरिकी नौकरियों पर कर्मचारियों को भेजना महंगा होगा। मिड-लेवल और एंट्री-लेवल कर्मचारियों के लिए वीजा पाना कठिन होगा। कंपनियां नौकरियां आउटसोर्स कर सकती हैं, जिससे भारतीय पेशेवरों के अमेरिका में अवसर कम हो सकते हैं।

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