- अस्थायी पुल हर साल बाढ़ में बह जाता है, जोखिम भरा सफर जारी
- पक्के पुल का सपना अधूरा, ग्रामीणों में गहरी नाराज़गी
- नाव के सहारे जिंदगी, हर बारिश में बढ़ती मुश्किलें
अम्बेडकरनगर । विकास खंड भियांव के ग्राम सभा करमुल्हा में पक्के पुल के अभाव में लगभग 10 हजार से अधिक की आबादी को रोजाना परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने अस्थायी तौर पर लकड़ी का पुल बनाकर जलालपुर और नेवादा के बीच आवाजाही का रास्ता बनाया है, लेकिन बारिश के मौसम में नदी में बाढ़ आते ही यह पुल बह जाता है, जिससे आवागमन पूरी तरह ठप हो जाता है।
नाव से गुजरनी पड़ती है जान
बारिश के दिनों में ग्रामीणों को मजबूरी में नाव का सहारा लेना पड़ता है। हर साल बारिश के बाद लोग मिलकर फिर से लकड़ी का पुल बनाते हैं, लेकिन यह समाधान न तो स्थायी है और न ही सुरक्षित। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगर यहां पक्का पुल बन जाए, तो जलालपुर तहसील की दूरी चार किलोमीटर कम हो जाएगी, जिससे समय और पैसे दोनों की बचत होगी।
एक साल पहले हुआ था प्रस्ताव पारित, लेकिन…
ग्रामीण अजीत शुक्ला, विनोद गोस्वामी, प्रदीप, मयंक प्रताप, रामाश्रय, जगदंबा और जवाहर ने बताया कि एक साल पहले जिलाधिकारी द्वारा पक्के पुल के निर्माण का प्रस्ताव पारित किया गया था, लेकिन लोक निर्माण विभाग ने अब तक काम शुरू नहीं किया है। इसको लेकर गांव में गुस्सा है। ग्रामीणों ने लोक निर्माण विभाग से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन अधिकारियों की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।
शासन से ग्रामीणों की अपील
ग्रामीणों ने शासन से मांग की है कि जल्द से जल्द पक्के पुल का निर्माण शुरू कराया जाए, ताकि उनकी सालों पुरानी समस्या का हल निकल सके। उनका कहना है कि अगर जल्द ही कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन पर उतरने को मजबूर होंगे।
समस्या का समाधान कब?
अब सवाल यह है कि आखिर ग्रामीणों की यह पीड़ा सुनने वाला कौन है? क्या प्रशासन इस मामले में जल्द कार्रवाई करेगा या ग्रामीणों को और इंतजार करना पड़ेगा?






