पहलगाम में हुई सुरक्षा चूक दोहराई न जाए – कैसे सुनिश्चित होगा?

  • ऑपरेशन सिंदूर की टाइमिंग और रणनीति पर उठे सवाल
  • क्या यह सर्जिकल स्ट्राइक से भी बड़ा ऑपरेशन था
  • TRF के ठिकानों पर एक ही रात में हमला कैसे मुमकिन हुआ

नई दिल्ली। पाकिस्तान और पीओके में भारतीय सेना की एयर स्ट्राइक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक डेढ़ घंटे चली। बैठक में गृहमंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, विपक्ष के नेता राहुल गांधी और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी सहित कई दलों के नेता मौजूद रहे। मीटिंग की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की।

6-7 मई की रात चला ‘ऑपरेशन सिंदूर’, 9 आतंकी ठिकाने तबाह

भारतीय सेना ने बीती रात पाकिस्तान और पीओके के आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की। इस कार्रवाई में 9 आतंकी अड्डों को निशाना बनाया गया, जिसमें 100 से ज्यादा आतंकियों के मारे जाने की खबर है। इस ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया है।

पिछली बैठक में मानी गई थी सुरक्षा चूक

इससे पहले 24 अप्रैल को पहलगाम हमले पर हुई सर्वदलीय बैठक में सरकार ने सुरक्षा में चूक की बात स्वीकार की थी। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 25 टूरिस्ट और एक स्थानीय घोड़ेवाले की मौत हो गई थी। उस बैठक में भी विपक्ष ने सरकार को आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई के लिए पूरा समर्थन दिया था।

खड़गे बोले थे- पीएम को खुद होना चाहिए था बैठक में

पहले की बैठक के दौरान खड़गे ने कहा था, “हमने मांग की कि प्रधानमंत्री मोदी को इस बैठक में मौजूद रहना चाहिए था क्योंकि अंतिम निर्णय वही लेते हैं। मंत्रियों ने भरोसा दिलाया कि वे पीएम को जानकारी देंगे, लेकिन खुद सुनना और फैसला लेना ज्यादा महत्वपूर्ण होता।”

विपक्ष का एक सुर में समर्थन

बैठक में सभी दलों ने आतंक के खिलाफ एकजुटता दिखाई। नेताओं ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ उठाए गए हर कदम पर सरकार को विपक्ष का पूरा साथ मिलेगा। खड़गे ने दोहराया, “इस मुद्दे पर हम सब एक हैं।”

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