अंबेडकरनगर। एचएन स्कूल सुल्तानपुर कबीरपुर के स्टडी सेंटर में कौमी कौंसिल बराए फ़रोग़-ए-उर्दू ज़ुबान, नई दिल्ली के तत्वावधान में एक वर्षीय उर्दू डिप्लोमा कोर्स के सर्टिफिकेट वितरण समारोह का आयोजन किया गया। उत्साहपूर्ण माहौल में संपन्न हुए इस कार्यक्रम में उर्दू भाषा की महत्ता, उसकी तहज़ीब और सौहार्द की परंपरा पर विस्तृत विचार रखे गए।
मुख्य अतिथि ने उर्दू को बताया मोहब्बत और तहज़ीब की विरासत
कार्यक्रम में मोहम्मद शफी नेशनल इंटर कॉलेज हंसवर के शिक्षक मोहम्मद असलम खान मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि उर्दू हिंदू–मुस्लिम मेल-मिलाप से विकसित हुई भाषा है, जो देश में अम्न, मोहब्बत और गंगा–जमुनी तहज़ीब की प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि उर्दू के नफ़ीस अल्फ़ाज़ दिल से निकलकर दिलों में उतरते हैं और इंसानियत की भावना को मजबूत करते हैं। उनका कहना था कि भारत की सांस्कृतिक साझेदारी में उर्दू का सदैव महत्वपूर्ण स्थान रहा है।
उर्दू सीखने वालों की बढ़ती संख्या इसकी अहमियत का प्रमाण– अध्यक्ष
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जमाल अख्तर खान ने कहा कि उर्दू भाषा आज भी तेजी से लोकप्रिय हो रही है। उर्दू सीखने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि दर्शाती है कि यह भाषा न सिर्फ साहित्यिक रूप से समृद्ध है, बल्कि समाज को जोड़ने का माध्यम भी है।
उन्होंने कहा कि उर्दू लोगों को एकजुट करने की क्षमता रखती है और इसकी मिठास हर समुदाय के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है।








