कपिल सिब्बल बोले- “धनखड़ को पार्टी की तरफदारी नहीं करनी चाहिए”

  • सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उपराष्ट्रपति की कड़ी टिप्पणी, सिब्बल ने उठाए गंभीर सवाल।

  • धनखड़ के बयान ने राजनीतिक बवंडर मचाया, सिब्बल ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा की।

  • कपिल सिब्बल ने संविधान की रक्षा की बात की, उपराष्ट्रपति के बयान पर किया तीव्र विरोध।

नई दिल्ली। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयान पर आपत्ति जताई, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘जज राष्ट्रपति को सलाह नहीं दे सकते।’ सिब्बल ने इस बयान को लेकर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “भारत में राष्ट्रपति मुख्य रूप से औपचारिक रूप से कार्य करते हैं। वे और राज्यपाल केवल सरकार की सलाह पर काम करते हैं।” उन्होंने धनखड़ की टिप्पणियों को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि उन्हें किसी राजनीतिक दल का समर्थन करने वाली भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

सिब्बल ने उदाहरण देते हुए कहा, “जब इंदिरा गांधी के चुनाव में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था और एकल न्यायधीश कृष्ण अय्यर ने उन्हें सांसद पद से हटा दिया था, तब धनखड़ जी को वह निर्णय स्वीकार्य था। लेकिन अब जब दो न्यायधीशों की बेंच का फैसला सरकार के खिलाफ हो, तो उसे चुनौती दी जा रही है।”

धनखड़ ने दिया था विवादास्पद बयान
गुरुवार को उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट की उस सलाह पर आपत्ति जताई थी, जिसमें राष्ट्रपति और राज्यपालों को बिलों की मंजूरी देने की समय सीमा तय की गई थी। धनखड़ ने कहा था, “अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं।” इसके अलावा, उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 142 का हवाला देते हुए कहा कि न्यायपालिका का यह विशेष अधिकार लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ हो सकता है। उनका कहना था कि जज अब ‘सुपर संसद’ की तरह कार्य कर रहे हैं।

सिब्बल ने न्यायपालिका पर जताया विश्वास
सिब्बल ने कहा, “आज के समय में न्यायपालिका पर पूरा देश विश्वास करता है। सुप्रीम कोर्ट को अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियां मिली हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि यदि कोई पक्ष इसके खिलाफ असंतुष्ट है, तो वह अनुच्छेद 143 के तहत रिव्यू कर सकता है या सुप्रीम कोर्ट से सलाह ले सकता है।

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