कानपुर। गुरुवार को श्रेयस अय्यर इस उम्मीद से 11 बजे बिस्तर पर लेटे कि उन्हें अच्छी नींद आएगी। उन्होंने दो सत्रों तक बल्लेबाज़ी की थी और थके हुए थे, इसलिए यह उम्मीद काल्पनिक नहीं थी।हालांकि वह सुबह पांच बजे ही जग गए और इसके बाद उन्हें नींद नहीं आई। वह बस सोचते रहे कि वह आगे किस तरह बल्लेबाज़ी करेंगे और कैसे पहले मैच में ही अपना शतक पूरा करेंगे। जो उन्होंने सोचा था, वैसा ही हुआ और वह पदार्पण मैच में शतक जड़ने वाले 16वें भारतीय बल्लेबाज़ बन गए। अय्यर ने दूसरे दिन के खेल के बाद कहा, ‘जब मैं कानपुर आया तो मुझे नहीं पता था कि मैं खेलने जा रहा हूं। राहुल सर और कप्तान रहाणे मेरे पास आए और उन्होंने इसकी जानकारी दी। इससे पहले मैंने लगभग तीन साल पहले ईरानी ट्रॉफ़ी मैच में लाल गेंद से क्रिकेट खेला था।
इसलिए मैंने इसे एक मौक़ा और चुनौती दोनों रूप में लिया।’ उन्होंने कहा , ‘जब आप लंबे समय से सीमित ओवर क्रिकेट खेल रहे होते हैं तो लाल गेंद की क्रिकेट में आना आसान नहीं होता है। तकनीक, खेलने के तरीक़े से लेकर सोचने का तरीक़ा बदल जाता है। लेकिन मैं इन सबके बारे में अधिक सोचने की बजाय सिर्फ़ खेल के बारे में सोच रहा था। मुझे पता था कि मेरे अंदर कौशल है। कप्तान और कोच ने भी मुझे आत्मविश्वास दिया। उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे कुछ भी बदलने की ज़रूरत नहीं है और अपना नैसर्गिक खेल दिखाने की ज़रूरत है। इसी माइंडसेट के साथ मैं मैदान पर उतरा था।’
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