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संसद में मेरी एक तकरीर बन गयी सजा का सबब : आजम

रामपुर। समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान ने विभिन्न आपराधिक मामलों में बीते दो साल से अधिक समय से जेल में बंद रहने के पीछे संसद में उनके द्वारा दिये गये एक भाषण को मूल वजह बताया। आजम ने रामपुर लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में सपा प्रत्याशी के पक्ष में मंगलवार देर रात एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि लोकसभा में उन्होंने एक तकरीर की थी, उसकी कुछ बाताें से खफा होकर सरकार ने उनके विरुद्ध तमाम मामले दर्ज कर इतने दिनों तक जेल में रखा। उन्होंने कहा “शायद पार्लियामेंट में दी गई तकरीर मेरी सजा का सबब बनी, जिसमें मैंने दावा किया था कि रामपुर के जौहर विश्वविद्यालय के मेडिकल कॉलेज में 8 ऑपरेशन थिएटर हैं। न्यूयॉर्क में भी उससे अच्छा ऑपरेशन थिएटर नहीं होगा। आज वह बंद पड़ा है और सामान चोरी हो गया वहां से, यह किस का नुकसान हुआ। यह पूरे देश के लिये राष्ट्रीय क्षति है। उन्होंने कहा कि मैं इसका मुतालबा देश के प्रधानमंत्री और होम मिनिस्टर से करना चाहता हूं।”

गौरतलब है कि आजम ने अपने पार्लियामेंट में दिए बयान में कहा था कि इस देश की दूसरी बड़ी आबादी के साथ जो रवैया है, वह यकीनन तकलीफदेह है। उन्होने कहा था कि वह एक ऐसी यूनिवर्सिटी के फाउंडर हैं और उनका दावा है कि जौहर यूनिवर्सिटी एशिया की सबसे खूबसूरत यूनिवर्सिटी है और मुमकिन है कि यूनिवर्सिटी के मेडीकल कॉलेज के आगे राष्ट्रपति भवन शायद अच्छा ना लगे। हाथ और दामन फैलाकर उन्होंने इसे बनाया है। आजम का दावा था कि वह बच्चों के चार स्कूल चलाते हैं जिनमें तीन सौ साढ़े तीन सौ रुपए फीस लेते हैं और जिन बच्चों के मां-बाप नहीं है, गरीब हैं उन्हें फ्री पढ़ाया जाता है। मजदूरों के बच्चों से सिर्फ बीस रुपए फीस ली जाती है।

पार्लियामेंट में अपनी पहली स्पीच में आजम का दावा था कि सुई की नोक के बराबर भी उनके दामन पर भ्रष्टाचार, रिश्वत का दाग हो या उनकी सरकारी कलम से किसी का भी कोई नुकसान हुआ हो या भ्रष्टाचार या कोई काली कमाई हो तो वह इसी वक्त सदन को छोड़कर जाने को तैयार हैं।
आजम खान ने कहा था“ सदन में उठने वाली आवाजों को से भी मैं कहना चाहता हूं कि 1947 में हमें हर पाकिस्तान जाने का हक था, आपको नहीं था। जो अपनी मर्जी से रुके थे यहां उनसे आज सदन में यह कहा गया कि जो वंदे मातरम नहीं कहेगा, उसे भारत में रहने का अधिकार नहीं है। मेरी बात ध्यान से सुन ले हो सकता है आपको शर्मिंदगी हो। वंदे मातरम की बहस नहीं है और देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक किसी को वंदे मातरम कहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, कानून यह भी है। संविधान सबको मानना पड़ेगा। ”

रामपुर में उर्दू गेट गिराए जाने, स्कूलों पर प्रशासनिक कार्यवाही को उन्होने असंवैधानिक बताया, जिस पर सदन में उन्हे भारी विरोध झेलना पड़ा था। आजम ने सभा के दौरान रामपुर के नवाब खानदान पर भी जमकर कटाक्ष किए। आजम खान ने कहा कि नवाबज़ादा की नवाब कहलाने वाली औलादों को किन्नरों का वोट भी नहीं मिला। वह देर रात्रि खजान खां के कुएं इलाके में जनता को संबोधित कर रहे थे। आज़म खान ने कहा कि रामपुर के नवाबजादा जुल्फिकार अली खान की औलादें अपने आप को नवाब कहती हैं और सिर्फ 3 हजार वोट पाती हैं। इससे ज्यादा तो रामपुर में किन्नर होंगे। इससे साफ है कि नवाब साहब को तो किन्नरों का वोट भी नहीं मिला।

उन्होंने नवाब खानदान पर हमला जारी रखते हुए कहा कि हामिद मंजिल में एक तरफ नाचने वाली नाचती थी और एक तरफ हमारा नवाब नाचता था। नाचने वाली बेहोश होकर गिर जाती थी। हमारा नवाब फिर भी नाचता था। उन्होंने जनसमूह से कहा, “किसी ने नहीं बताई होंगी आपको ये बातें। यही हमारा गुनाह है। हमारा नवाब पूरी दुनिया में अकेला था, जिसका एक घुंघरू बजता था। कोई ऐसी तवायफ न थी जिसकी पायल का एक घुंघरू बजता हो, लेकिन हमारे नवाब की पायल का एक घुंघरू बजता था। इतना बड़ा फनकार था हमारा नवाब।”

आजम खान ने नवाब को कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पंजा और उनके बेटे को भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल का फूल बताते हुए कहा कि यह है ‘नवाबों का खमीर।’ गौरतलब है कि उनका इशारा कांग्रेस के टिकट पर पिछला चुनाव लड़े नवेद मियां की ओर था। उन्होंने कहा, “एक ही घर में पंजे के लिए भी वोट मांगा जाता है और कमल के फूल के लिए भी वोट मांगा जाता है। बाप पंजा और बेटा कमल का फूल, यह है नवाबों का खमीर, अब मैं क्या कहूं।”