मथुरा । उत्तर प्रदेश के मथुरा में लगभग दो वर्ष बाद शनिवार को आयोजित किये गए कंस मेले को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आये। श्री माथुर चतुर्वेद परिषद के तत्वाधान में कंस मेले का प्रारंभ हनुमान गली से हुआ। चतुर्वेद समाज के लोग सजी सजाई लाठियां लिए जहां आगे चल रहे थे वहीं मध्य में विशालकाय कंस का पुतला चतुर्वेदी बालक ले जा रहे थे। दूसरी ओर श्री कृष्ण बलदेव के स्वरूप अम्बाखार की ओर हाथी को दर्शाती जीप पर बने सिंहासन पर इस तरह से विराजमान थे जैसे वह हाथी पर विराजमान हों। यह व्यवस्था हाथी के प्रयोग पर प्रतिबंध के कारण की गई थी। ठाकुर जी के इशारे पर चतुर्वेदी समाज के बंधुओं ने कंस के पुतले को लाठियों से पीटा और कंस के चेहरे को लेकर कंसखार तक नाचते गाते आए।
जब पुतला कंसखार पर पहुंचा तो चतुर्वेद समाज के लोगों ने उसकी जमकर पिटाई की । इसके बाद विश्राम घाट पर मिहारी सरदारों द्वारा स्वरूपों की आरती की गई तथा कृष्ण बल्देव की जयकार के साथ मेले का आज का कार्यक्रम समाप्त हुआ। पूर्व में परिषद के मुख्य संरक्षक एवं अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पाठक ने कहा कि समाज की एकता और परंपरा को बनाए रखने के लिए समय के अनुसार सभी परिवर्तन करने पड़ते हैं।
धीरे-धीरे यह मेला अपनी एक पहचान बना चुका है।वही परिषद के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि इस मेले के माध्यम से देश विदेश में रहनेवाले समाज के लोगों का आपसी समागज मेले की उपलब्धि थी।रविवार को चतुर्वेद समाज के कंस वध के प्रायश्चित के रूप में तीन वन की परिक्रमा करेंगे।इस अवसर पर कुछ झांकियों का भी आयोजन किया गया।
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