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कृषि कानून वापस लेने के लिये मोदी का धन्यवाद, सरकार अब दे मुआवजा: भाकियू

सहारनपुर। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने शुक्रवार को तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा का स्वागत करते हुये कहा है कि संसद से इन कानूनों को रद्द किये जाने तक आंदोलन जारी रहेगा।

इसके अलावा भाकियू ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि एक साल से चल रहे आंदोलन के दौरान जो 700 किसान शहीद हुए हैं उनको उसी तरह का मुआवजा और सुविधाएं प्रदान की जाएं जैसी सैनिकों के शहीद होने पर दी जाती हैं। भाकियू के उत्तर प्रदेश उपाध्यक्ष और सहारनपुर के कार्यवाहक जिलाध्यक्ष चौधरी विनय कुमार ने प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि प्रधानमंत्री ने आज तीनों कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा की है वह देश और किसानों के व्यापक हित में है। चौधरी विनय कुमार ने कहा कि सबसे अच्छी बात यह रही कि एक साल तक चला किसानों का यह आंदोलन ना तो कभी हिंसक हुआ और ना ही पुलिस प्रशासन से टकराव हुआ।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने देर से ही सही किसानों की भावनाओं को समझा है। अभी किसान अपना आंदोलन पूर्व की तरह जारी रखेंगे और दिल्ली की सीमाओं पर जहां किसान धरनारत हैं प्रधानमंत्री की इस घोषणा का जश्न मनाएंगे।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य विजय पाल सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने दूरदृष्टि और राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर निर्णय लेते हैं। उन्होंने कहा कि 80 फीसद किसान इन कृषि कानूनों के पक्षधर थे और 20 फीसद किसान ही ऐसे थे जो इसके विरोध में आंदोलनरत थे। एक साल के दौरान देश में भरपूर अन्न उत्पादन हुआ है और सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर रिकार्ड खरीद हुई है।

विजय पाल तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय सराहनीय और स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी 20 फीसद किसानों को किसान कानूनों से होने वाले फायदों के बारे में ठीक से समझाने में नाकाम रही है। लेकिन किसानों के बीच असहमति और टकराव किसी के भी हित में नहीं था। प्रधानमंत्री सच्चे देशभक्त हैं और उन्होंने 20 फीसद किसानों को नाराज करना भी उचित नहीं माना इससे प्रधानमंत्री का बड़प्पन झलकता है।

सहारनपुर के प्रमुख किसान एवं भाजपा नेता अनिल सिंह पुंडीर ने भी प्रधानमंत्री की घोषणा का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह ना किसी की जीत है और ना ही किसी की हार है। लोकतंत्र में असहमति का अधिकार सभी को है। उसका केंद्र और प्रदेश सरकार ने सम्मान किया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश कि किसानों को आंदोलन करने की पूरी स्वतंत्रता और गरिमा प्रदान की है।