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किसानों के संघर्ष के आगे केंद्र सरकार को झुकना पड़ा: केजरीवाल

नयी दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किसानों के संघर्ष के बाद सरकार द्वारा तीनों काले कृषि कानून वापस लेने की घोषणा को जनतंत्र की जीत करार देते हुए कहा कि केंद्र सरकार को किसानों के संघर्ष के आगे झुकना पड़ा।

श्री केजरीवाल ने संवाददाता सम्मेलन में शुक्रवार को कहा कि भारत के इतिहास में आज एक सुनहरा दिन है। आज का दिन भारतीय इतिहास में 15 अगस्त और 26 जनवरी की तरह लिखा जाएगा। केंद्र सरकार को आज किसानों के संघर्ष के आगे झुकना पड़ा और तीनों काले कृषि कानून वापस लेने पड़े, आज सिर्फ किसानों की जीत नहीं हुई है, बल्कि जनतंत्र की भी जीत हुई है। किसानों ने सभी सरकारों को बता दिया कि जनतंत्र में सरकारों को हमेशा जनता की बात सुननी पड़ेगी। सिर्फ और सिर्फ जनता की मर्जी चलेगी। कोई भी पार्टी या नेता हो, जनता के सामने आपका अहंकार नहीं चलेगा।

उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा संघर्ष था जिसमें पूरे देश को एक कर दिया। इस लड़ाई में किसानों के साथ-साथ मजदूरों, महिलाओं, आड़तियों और दुकानदारों समेत सब ने हिस्सा लिया। पंजाब हो या उत्तर प्रदेश, बंगाल हो या केरल, पूरा देश किसानों के साथ खड़ा था। देश-विदेश में रहने वाले सभी भारतवासी एक हो गए और सबने मिलकर आज इतिहास रचा। जिन्होंने धर्म-जाति से उपर उठकर एक साथ सड़क पर तीनों काले कृषि कानूनों के खिलाफ यह लड़ाई लड़ी और आखिर में केंद्र सरकार उनके आगे आज झुकना पड़ा। आज उन सभी लोगों की जीत हुई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया के इतिहास में शायद ही इससे बड़ा या इससे लम्बा कोई आंदोलन हुआ होगा। इतनी शांति पूर्वक तरीके से लाखों लोगों ने संघर्ष किया। कड़ी धूप में, बरसात में, ठंड में वे पीछे नहीं हटे। इस आंदोलन को तोड़ने के लिए सरकार ने, पूरे सिस्टम ने और एजेंसियों ने पूरे के पूरे तंत्र ने न जाने क्या-क्या कोशिशें कीं। किसानों को आतंकवादी कहा, खालिस्तानी कहा, एंटी नेशनल कहा। सब तरीके से किसानों को घेर कर उनके हौसले को तोड़ने की कोशिश की गई लेकिन यह किसानों के लिए भी आजादी की लड़ाई थी और आजादी के दिवानों की तरह किसानों ने कमर कस कर यह लड़ाई लड़ी और जीते। किसानों के प्रबल साहस के सामने वाटर कैनन का पानी सूख गया। सरकार की लाठियां टूट गईं। कीलें गल गईं, लेकिन सरकार किसानों का आत्मविश्वास और जज्बा नहीं तोड़ पाई।

श्री केजरीवाल ने कहा कि आज एक बात का बहुत दुख है कि इस आंदोलन में 700 से ज्यादा हमारे किसानों ने जान गंवा दी। इसकी जरूरत नहीं थी। अगर यह कानून पहले वापस ले लिए जाते तो, उनकी जानें बचाई जा सकती थी। हमारे किसान भाईयों और बहनों को इतने महीने सड़क पर बैठ कर ठंड में, बरसात में, धूप में, तकलीफ उठाने की जरूरत नहीं होती। आज 700 से ज्यादा किसानों की जान चली गई। 700 से ज्यादा परिवार उजड़ गए। आखिर किस लिए? इन शहीदों को मेरा नमन है। इनके परिवार को भी मेरा कोटि-कोटि प्रमाण है। मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए वाहे गुरूजी से प्रार्थना करता हूं कि उनके परिवार के सभी कष्ट दूर करें। पर आपकी कुर्बानियों को यह देश कभी नहीं भूलेगा। आज का दिन हमारे देश के बच्चों और नौजवानों के लिए एक सीख है कि अगर सही नियत से शांति पूर्ण तरीके से संघर्ष करो, तो फिर मंजिल चाहे कितनी भी कठिन और दूर क्यों न हो, सफलता मिलती है।