यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा संगठन को मजबूत करने और टिकट बंटवारे को लेकर शुरुआती मंथन में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। पार्टी के शीर्ष नेता जहां यात्रा और जनसभाओं में लगे हुए हैं, वहीं पूर्व में भी यूपी के लिए चाणक्य की भूमिका निभा चुके अमित शाह ने यह पूरी जिम्मेदारी ली है। अमित शाह रैलियों और रात की बैठकों के जरिए न सिर्फ सांगठनिक तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं बल्कि अपने पुराने अंदाज में टिकटों पर मंथन भी कर रहे हैं।
भाजपा के पास तैयारी का सबसे अहम
राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक, यह चुनावी तैयारी नहीं बल्कि चुनाव पूर्व बैठक है। जाहिर है इसमें टिकट को लेकर मंथन भी शामिल है। इसलिए इसमें अमित शाह का होना जरूरी है। यूपी में सरकार हर बार बदल रही है। यह पहली बार है जब कोई पार्टी सत्ता में वापस आने की कोशिश कर रही है। अमित शाह के पास उस तरह का अनुभव है जो इसके लिए जरूरी है।
2014 की पटकथा दोहराने का संकल्प
यूपी में अमित शाह की सक्रियता उनके पुराने अंदाज की ओर इशारा करती है। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी के प्रभारी रहे अमित शाह ने पार्टी के लिए एक सफलता की पटकथा लिखी और रात की बैठकों की, जो भाजपा की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका रही। उस समय अमित शाह रायबरेली, सुल्तानपुर, शाहजहांपुर जैसे छोटे लेकिन राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जिलों में रहे और वहां रात की बैठकें भी कीं।
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